मुलाकात के आदाब

मुलाकात के आदाब

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

लोगो से मेल-जोल रखने और एक दूसरे के काम आने के लिए कभी हम किसी से मिलने जाते है और कभी हमारे यहाँ कोई मिलने आता है। हर काम का एक सलीका और कुछ आदाब होते है I जब किसी से मुलाक़ात हो तो सलाम में पहल करे ,इसका बड़ा सवाब हैI फिर मुसाफाह करे यानी हाथ मिलाये और मिजाज़ पूछे I मुनासिब हो तो घर वालो की खेरियत भी मालूम करलेI जब किसी से मिलने जाए तो साफ़ सुथरे कपडे पहनकर जाए। मिलने से पहले वक़्त लेकर उसका फुर्सत का वक़्त मालूम करलेI वक्त बेवक्त किसी के यहाँ जाना मुनासिब नहीं I इससे दुसरो को भी हर्ज होता है और खुद भी आदमी दूसरों की नज़रो में गिर जाता है I जब कोई हमसे मिलने आये तो मुस्कुराते चेहरे से उसका इस्तकबाल करे , उसे इज्ज़त से बेठाए ,खेरियत मालूम करे और मुमकिन हो तो मुनासिब खातिरदारी भी करे I किसी से मिलने जाये तो काम की बात करे , बेकार बातों में वक़्त बर्बाद ना करे कि उसको हमारा बैठना बोझ मालूम हो I किसी के यहाँ जाए तो कभी – कभी कोई चीज़ तोहफे के तौर पर साथ लेते जाये I तोहफ़ा देने से मोहब्बत बढती है I किसी के मकान में यू ही न घुस पड़े , पहले इजाज़त ले और अगर तीन आवाज़े देने पर कोई जवाब ना आये तो ख़ुशी – ख़ुशी वापस लौट जाये I जब कोई ज़रूरतमंद मिलने आये तो ध्यान से उसकी ज़रूरत मालूम करे I अगर मुमकिन हो तो उसकी ज़ुरूरत पूरी कर दे और अगर पूरी ना कर सके तो बिना वजह उसे उम्मीद ना दिलाये I खुद किसी के यहाँ अपनी ज़रूरत लेकर जाए तो मुनासिब अंदाज़ में अपनी मुसीबत बयान कर दे I पूरी हो जाये तो शुक्रिया अदा करे और पूरी ना हो सके तो गिला शिकवा ना करेI

Share This: